शादी के बाद बच्चा कैसे पैदा किया जाता है ? baccha kaise paida hota hai .
शादी के बाद बच्चा कैसे पैदा किया जाता है ? baccha kaise paida hota hai . आईवीएफ से बच्चा कैसे पैदा होता है . shadi ke baad bacha kaise hota hai . शादी होने के बाद बच्चे कैसे होते हैं . शादी के बाद बच्चे क्यों नहीं होते? शादी के बाद प्रेग्नेंट कैसे होते हैं? शादी के कितने दिन बाद बच्चा होता है . शादी के कितने साल बाद बच्चा पैदा करना चाहिए . aurat ka bachcha kaise hota hai
आइए जानते हैं कि शादी के बाद बच्चा कैसे पैदा किया जाता है यानी कि शादी के बाद बेबी प्लैनिंग ( Baby planning) कैसे की जाती है ।
baby kaise hota hai in hindi . child kaise hota hai .
जब पुरुष का वीर्य जिसमें शुक्राणु होता है महिला के अंडे से मिलता है तो बेबी यानी कि बच्चे का जन्म होता है । चाइल्ड ( child ) या बच्चे का जन्म अंडाणु और शुक्राणु के मेल से होता है ।
जब पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणु महिला की yoni में मौजूद मंडे को निषेचित कर देता है तब महिला गर्भवती होती है और बेबी ( baby )को जन्म देती है और बेबी होता है ।
after marriage how to get pregnant video। शादी के बाद प्रेगनेंसी का विडियो।
baccha kaise paida hota hai . शादी के बाद प्रेग्नेंट यानी कि गर्भवती कैसे किया जाता है इसके लिए आपको सही दिन का चुनाव करना चाहिए ।
शादी के बाद यदि आप प्रेग्नेंट ( pregnant) होना चाहते हो तो आपको ओवुलेशन के ठीक 2 दिन पहले ही sex करना शुरू कर देना चाहिए और ओवुलेशन के बाद तक sex करते रहना चाहिए । इससे प्रेग्नेंट यानी कि गर्भधारण की संभावना ज्यादा होती है ।
how to do family planning after marri – शादी के बाद फैमिली प्लानिंग
शादी के बाद फैमिली प्लानिंग ( family planning ) यानी कि पति पत्नी द्वारा माता पिता बनने की प्लानिंग बहुत ही अहम रोल निभाती है । और पति पत्नी मां बाप बनने के सपने देखता है
और जब वह शादी के बाद में फैमिली प्लानिंग कर रहा है और मां बाप बनने की सोच रहा है तब उन्हें बहुत ही खुशी होती है ।
लेकिन शादी के बाद में फैमिली प्लानिंग का भी एक वक्त होता है । यदि उस वक्त में अपने फैमिली प्लानिंग यानी कि बच्चे को पैदा करने की प्लानिंग ( baby planning ) नहीं की है तो यह आगे जाकर के आपको दिक्कत यानी की problem कर सकता है ।
इसीलिए यदि जिन दंपति यानी की जोड़े की शादी समय से पहले हो चुकी है उन्हें बेबी प्लैनिंग और फैमिली प्लानिंग में देरी करनी चाहिए । क्योंकि इस उम्र में लड़की मां बनने के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं होती है ।
जिन कपल्स यानी की प्रेमी की शादी 20 वर्ष से 25 वर्ष के बीच में हुई है वह फैमिली प्लानिंग और बच्चे की प्लानिंग कर सकते हैं उनके लिए यह सही उम्र है ।
यदि आप चाहे तो बच्चे की प्लानिंग कुछ दिन और रुक कर भी कर सकते हैं । फैमिली प्लानिंग के लिए आपके पास वक्त है ।
जिन दंपति की शादी 25 से 35 वर्ष के बीच में हुई है उन्हें जल्द से जल्द family planning शुरू कर देनी चाहिए । उन्हें फैमिली प्लानिंग में बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए ।
क्योंकि इस उम्र में आते-आते महिलाओं में अंडे बनने की और अंडे के फर्टिलाइज ( fertilize )होने की संभावना कम होती जाती है ।
बच्चा कहां से पैदा होता है ? baccha kahan se paida hota hai
आइए जानते हैं कि बच्चा कहां से पैदा होता है बच्चा किसी भी महिला स्त्री या फिर लड़की की योनि ( yoni ) से पैदा होता है ।
महिलाओं के प्रजनन अंग yoni से ही बच्चे का जन्म होता है और बच्चा पैदा होता है । लेकिन कुछ case में पेट को चीर कर के बच्चे को पैदा किया जाता है । यह किसी महिला के गर्भाशय और yoni में गड़बड़ी होने के कारण किया जाता है ।
किसी भी साधारण महिला मैं बच्चे का जन्म उसकी yoni जिसे प्रजनन अंग भी कहा जाता है से होता है । बच्चे के पैदा होने के लिए और गर्भधारण के लिए अंडे का निर्माण गर्भाशय में होता है
फिर yoni में आकर के निषेचित होता है और पेट में बच्चे के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है और फिर बच्चे के पैदा होने की प्रक्रिया योनि मार्ग से ही संपन्न होती है ।
प्रसव किसे कहते हैं – prasav kise kahate Hain
प्रसव का अर्थ और मतलब होता है बच्चे का जन्म । जब किसी स्त्री या महिला के गर्भ से बच्चे का जन्म होता है या बच्चा पैदा होता है तो उसे प्रसव कहते हैं ।
प्रसव की प्रक्रिया में शिशु यानी कि जो शिशु पेट में है वह गर्भवती महिला के पेट से बाहर आने की प्रक्रिया है ।
प्रसव एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें महिला को काफी दर्द सहना पड़ता है प्रसव के दौरान जब बच्चे का जन्म होता है तब महिला को बहुत ज्यादा ही दर्द होता है ।
प्रसव क्रिया को प्रेरित करने वाले प्रमुख हॉर्मोन्स हैं।
- कार्टिसॉल
- एस्ट्रोजन
- ऑक्सीटोसीन
प्रसव के दौरान महिला को जो दर्द होता है उसे प्रसव पीड़ा कहा जाता है । सामान्य तौर पर सभी महिलाओं में प्रसव का समय 9 महीनों बाद का होता है ।
लेकिन कुछ महिलाओं में यह प्रसव का समय 9 महीने से पहले होता है तो कुछ महिलाओं में प्रसव का समय 9 महीने के बाद में भी होता है ।
ladki ko bacha kaise hota hai – लड़की को बच्चा कैसे होता है
सेक्स से लड़की को बच्चा कैसे होता है यह जानने के लिए आइए जानते हैं कि बच्चा कैसे होता है । जब पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणु महिला की योनि में मौजूद अंडे को फर्टिलाइज यानी कि नीषेचीत कर देता है तब महिला गर्भवती होती है और गर्भवती होने के 9 महीने बाद में लड़की को बच्चा होता है ।
9 महीने बाद में जब लड़की को बच्चा होता है तब उसे काफी दर्द होता है । बहुत सारे लोगों का यह सवाल रहता है कि लड़की को बच्चा होने पर कैसा महसूस होता है तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता देता हूं की बच्चा होने पर लड़की मां बन जाती है और उसे कभी खुशी मिलती है ।
प्रेग्नेंट कैसे किया जाता है ? video pregnant kaise kiya jata hai .
आइए जानते हैं कि किसी भी लड़की या महिला को प्रेग्नेंट कैसे किया जाता है प्रेग्नेंट करने का तरीका क्या है ।
लड़की को प्रेग्नेंट करने की कुछ कंडीशन होती है यदि यह कंडीशन फॉलो होती है तभी कोई महिला या लड़की प्रेग्नेंट होती है ।
प्रेग्नेंट होने के लिए सेक्स यानी कि संबंध को ovulation की अवधि के दौरान बनाना चाहिए तभी प्रेग्नेंट हो पाएंगे ।
और यदि आपने संबंध इस अवधि के दौरान बनाएं हैं तो दूसरी कंडीशन यह है कि शुक्राणु द्वारा अंडे को फर्टिलाइज होना भी जरूरी होता है तभी जाकर के लड़की या महिला प्रेग्नेंट होती है और बच्चे को जन्म देती है ।
पेट मे बच्चा कैसे होता है । aurat ko bacha kaise hota hai .
पेट में बच्चा कैसे होता है यह समझने के लिए सबसे पहले तो पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणु और महिला की योनि में मौजूद अंडा को निषेचित करना होता है । उसके बाद में फर्टिलाइजर egg गर्भाशय की दीवार के साथ जुड़ जाता है ।
उसके बाद में egg धीरे-धीरे विकसित होने लगता है जिसे एमबीओ इंप्लांटेशन कहते हैं । अभी तक आपको दो-तीन हफ्तों तक ही हुए हो और दो-तीन हफ्तों तक मालूम ही नहीं पड़ता है ।
गर्भकाल 40 हफ्ते यानी कि 9 महीने का होता है इन दिनों में बच्चा पेट में बड़ा हो रहा होता है और उसका विकास होता रहता है नये अंग बनते रहते हैं ।
गर्भधारण के पहले महीने में बच्चे की कोशिकाओं के साथ उसके आंतरिक अंग जैसे कि पाचन तंत्र स्नायु तंत्र और रक्त संचार तंत्र का निर्माण शुरू हो जाता है । शिशु पानी से भरी एक थैली के अंदर में होता है ।
गर्भधारण के पहले महीने के समय शिशु की लंबाई मात्र 0.6 सेंटीमीटर होती है । उसके बाद में शिशु की लंबाई और वजन बढ़ना शुरू हो जाता है ।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला में शारीरिक लक्षण और बदलाव
महिला में भी शारीरिक बदलाव होते हैं महिला के स्तन अधिक संवेदनशील हो जाते हैं । हार्मोन बदलाव के कारण महिलाओं में भी काफी बदलाव आता है ।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में बच्चे के कौन-कौन से अंग बनते हैं ?
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में भ्रुण में महत्वपूर्ण बदलाव जैसे कि ह्रदय , मस्तिष्क , फेफड़े विकसित होने लगते हैं । चेहरे का आकार भी बनने लगता है दिमाग का विकास होने लगता है । गर्भनाल का निर्माण हो जाता है । हाथ पैरों की उंगलियां और नाखून बनना भी शुरू हो जाते हैं ।
इस समय शिशु की लंबाई 3 सेंटीमीटर और शिशु का वजन 1 ग्राम के आसपास होता है । इस समय शिशु गांठ की तरह महसूस होता है ।
इस समय प्रेग्नेंट महिला को ज्यादा नींद आने , जी घबराना , उल्टी आने का मन करना और गर्भवती महिला गंध के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है ।
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में बच्चे के कौन-कौन से अंग बनते हैं ?
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में शिशु में महत्वपूर्ण बदलाव होता है शिशु में गुर्दे और आंत का निर्माण शुरू हो जाता है । शिशु अपने हाथ पैर हिलाने लगता है । शिशु में नाखून का विकास होने लगता है ।
इस समय शिशु में आंखे बन चुकी होती है लेकिन पलकें बंद होती है । शिशु में हाथ , उंगलियां , पैर , पंजे , पैरों की अंगुलियां और नाखून इस महीने में विकसित होने शुरू हो जाते हैं ।
शिशु के अंदर स्वर तंत्र और ऊपरी त्वचा का विकास शुरू हो जाता है । शिशु इस समय सिर को ऊपर उठा सकता है । इसके अलावा शिशु के बाहरी जननांग भी बनना शुरू हो जाते हैं ।
इस महीने में महिला अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु की धड़कन को सुन सकती है और महिला के पेट के बीच में एक काली लाइन भी बन जाती है जो कि धीरे-धीरे और भी गहरी होती जाती है ।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में बच्चे की कौन कौन सा अंग बनते हैं ?
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में शीशु में रक्त संचार प्रणाली और मूत्र मार्ग काम करने लगते हैं । शिशु की लंबाई और वजन तेजी से बढ़ना भी शुरू हो जाता है । शिशु के शरीर पर बाल आने लगते हैं और सिर पर भी हल्के बाल नजर आने लगते हैं ।
शिशु की पलक तथा भोंहे के बाल भी आने लगते हैं इस समय चमड़ी वसायुक्त होने लगती है । इस समय गर्भवती महिला का वजन भी बढ़ने लगता है इस समय महिला के कमर के आसपास चमड़ी बढ़ने लगती है और शिशु की हलचल भी कुछ महिलाओं को पता चलने लगती है ।
गर्भधारण के पांचवे महीने में बच्चे में कौनसे अंग बनते हैं ?
प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में शिशु के सिर के बाल निकलने लगते हैं । शिशु की आंखें बनने लगती है ।इस समय शिशु की त्वचा का रंग थोड़ा सा ज्यादा लाल होता है और त्वचा वसायुक्त होती है ।
इस समय शिशु की लंबाई 25 सेंटीमीटर से लेकर के 30 सेंटीमीटर तक हो जाती है । पांचवे महीने में शिशु का वजन 200 ग्राम से लेकर के 400 ग्राम तक पहुंच जाता है ।
इस समय गर्भवती महिला के पैरों में सूजन आ सकती है । महिला का वजन ज्यादा बढ़ने लग सकता है । गर्भवती महिला को पेट में खिंचाव भी महसूस हो सकता है । महिला को किसी खास चीज खाने की इच्छा भी होती है ।
छठे महीने में बच्चे में कौन-कौन से अंग बनते हैं ?
Pregnancy के छठे महीने में शिशु बाहर की आवाजों के प्रति संवेदनशील हो जाता है । शिशु के हाथों की रेखा उभरने लगती है । शिशु के मसूड़े भी इस समय बन चुके होते हैं ।
शिशु की तब जा जोड़ीदार हो चुकी होती है और उनको का विकास भी हो चुका होता है । शिशु की पलकें बंद हो सकती है और खुल भी सकती है । इस समय शिशु रो सकता है और आप को लात भी मार सकता है । इस समय शिशु को हिचकी भी आ सकती है ।
इस महीने में महिला को बार बार पेशाब जाने की इच्छा हो सकती है और महिला को उल्टी और मछलियां आने की समस्या खत्म हो जाती है । महिला के शरीर का तापमान भी इस महीने में ज्यादा बढ़ जाता है ।
गर्भधारण के सातवें महीने में बच्चे में कौन-कौन से अंग बनते हैं ?
प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में शिशु के मस्तिष्क का निर्माण तेजी से होता है । यदि किसी गर्भवती महिला के पेट पर कान से सुना जाए तो शिशु की धड़कन को सुना जा सकता है । इस समय शिशु कई बार अंगुठा चूसता हुआ दिखाई देता है ।
इस समय शिशु की लंबाई 32 सेंटीमीटर से लेकर के 48 सेंटीमीटर तक हो जाती है और शिशु का वजन 1100 ग्राम से लेकर के 1350 ग्राम तक हो जाता है ।
इस समय महिला के पैरों में ऐंठन हो सकती है । महिला को कब्ज की शिकायत और त्वचा में खुजली हो सकती है । बार-बार पेशाब करने की शिकायत हो सकती है और गर्भाशय का आकार ऊपर की ओर बढ़ने लगता है ।
इसके अलावा गर्भवती महिला को सोने में दिक्कत हो सकती है सांस लेने में दिक्कत हो सकती है साथ ही स्तनों में दूध भी आ सकता है ।
प्रेगनेंसी के आठवें महीने में बच्चे में कौन-कौन से अंग बनते हैं ?
प्रेगनेंसी के आठवें महीने में शिशु की हड्डियां मजबूत होने लगती है । सिर का आकार बढ़ने लगता है । साथ ही शिशु का आकार भी बढ़ने लगता है । इस समय शिशु की आंखें खुली रहती है जागने और सोने की आदत शिशु में विकसित हो चुकी होती है ।
इस महीने में शिशु का वजन 2 किलो से लेकर सवा 2 किलो तक हो सकता है । शिशु की लंबाई 41 सेंटीमीटर से लेकर 45 सेंटीमीटर तक हो सकती है ।
इस महीने में गर्भवती महिला के शरीर में अधिक भारीपन महसूस होता है । गर्भवती महिला नीचे नहीं झुक सकती है । उठने बैठने में भी दिक्कत आती है । गर्भवती महिलाओं को नींद नहीं आती है ।
गर्भवती महिला को हल्का पेड़ दर्द रह सकता है गुप्तांगों में हल्का दर्द रह सकता है । सांस लेने में दिक्कत हो सकती है ।
नौवें महीने में शिशु में होने वाले बदलाव क्या क्या है ?
प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में शिशु के सभी अंगो का निर्माण लगभग पूरा हो चुका होता है । इस समय शिशु हलचल कम करता है । क्योंकि गर्भाशय में पर्याप्त जगह नहीं होती है ।
इस समय शिशु का सिर नीचे की तरफ कर लेता है जो कि नॉर्मल डिलीवरी के लिए सामान्य स्थिति होती है ।
इस समय बच्चे की आंखें गहरे कबूतरी रंग की होती है । इस समय बच्चा ज्यादा शांत रहता है ।नौवें महीने में शिशु की लंबाई 50 सेंटीमीटर और शिशु का वजन 2.5 किलो से लेकर के सवा 3 किलो तक हो सकता है ।
इस महीने में महिला के स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है । इस महीने में महिला को कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है ।